बॉलीवुड के डिस्को डांसर और “दादा” के नाम से मशहूर सुपरस्टार मिथुन चक्रवर्ती का फिल्मी सफर किसी मिसाल से कम नहीं है। पांच दशकों से भी लंबा करियर, 350 से अधिक फिल्में और अनगिनत यादगार किरदार यही वजह है कि वे आज भी दर्शकों के दिलों में बसे हुए हैं। मिथुन चक्रवर्ती ने अपने शानदार अभिनय से तीन बार नेशनल अवॉर्ड, फिल्मफेयर अवॉर्ड, पद्म भूषण और हाल ही में सिनेमा जगत का सबसे बड़ा सम्मान दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड अपने नाम किया है। एक्टिंग के साथ-साथ उन्होंने राजनीति में भी सक्रिय भूमिका निभाई और वहां भी अपनी पहचान बनाई।
क्यों कहा अब नेशनल अवॉर्ड नहीं मिलेगा?
इन दिनों मिथुन चक्रवर्ती अपनी अपकमिंग फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ को लेकर सुर्खियों में हैं। हाल ही में उन्होंने एक बड़ा खुलासा किया। जब उनसे पूछा गया कि क्या इस फिल्म के लिए वह एक और नेशनल अवॉर्ड की उम्मीद कर सकते हैं तो मिथुन ने साफ शब्दों में कहा, ‘हमने बंगाली फिल्म ‘काबुलीवाला’ को नेशनल अवॉर्ड के लिए भेजा था लेकिन फिर मुझे पता चला कि एक बार दादा साहब फाल्के अवॉर्ड मिलने के बाद नेशनल अवॉर्ड नहीं दिया जाता। क्योंकि दादा साहब फाल्के अवॉर्ड सबसे बड़ा होता है। अब अगर कुछ पाना है तो ऑस्कर अवॉर्ड के लिए कोशिश करनी होगी यहां कुछ नहीं मिलेगा।”
तीन बार नेशनल अवॉर्ड जीत चुके हैं मिथुन
गौरतलब है कि मिथुन चक्रवर्ती अब तक तीन बार नेशनल अवॉर्ड जीत चुके हैं।
पहली बार उन्हें ‘मृगया’ (1976) फिल्म के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला।
दूसरी बार उन्होंने बंगाली फिल्म ‘तहादर कथा’ (1992) से यह उपलब्धि हासिल की।
तीसरी बार निर्देशक जी. वी. अय्यर की बायोग्राफिकल ड्रामा फिल्म ‘स्वामी विवेकानंद’ (1998) के लिए उन्हें सम्मानित किया गया।
इसके अलावा, 8 अक्टूबर 2024 को उन्हें भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा सम्मान दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड भी दिया गया।
‘द बंगाल फाइल्स’ पर क्या बोले मिथुन चक्रवर्ती
मिथुन चक्रवर्ती इन दिनों निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की फिल्म ‘द बंगाल फाइल्स’ को लेकर चर्चा में हैं। यह फिल्म 1946 के समय की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जब बंगाल में बड़े पैमाने पर दंगे हुए थे।
इंटरव्यू में मिथुन ने फिल्म को लेकर उठ रहे सवालों पर चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि “द बंगाल फाइल्स क्या है? यह कहानी मेरे जन्म से भी पहले की है। विवाद करने से कुछ नहीं होगा। सच्चाई जाननी है तो फिल्म देखनी पड़ेगी। विवेक अग्निहोत्री ऐसे फिल्ममेकर हैं जो कभी झूठ नहीं दिखाते। वह हमेशा तथ्यों और सबूतों के आधार पर फिल्में बनाते हैं ताकि दर्शकों तक सच्चाई पहुंच सके।” उन्होंने यह भी साफ किया कि यह फिल्म किसी तरह की पॉलिटिकल फिल्म नहीं है बल्कि इसका मकसद सिर्फ और सिर्फ सच्चाई को पर्दे पर लाना है।
मिथुन चक्रवर्ती का यह बयान उनकी ईमानदार सोच और संघर्षों से भरी यात्रा को और खास बनाता है। 70 से ज़्यादा उम्र में भी उनकी ऊर्जा और जुनून युवाओं को प्रेरित करते हैं। अब देखना यह होगा कि क्या “डिस्को डांसर” का यह सपना पूरा होता है और क्या वह वाकई भारत को ऑस्कर दिलाने में सफल हो पाते हैं।