दादासाहब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल अवॉर्ड्स (DPIFF) 2025 इस साल 29 और 30 अक्टूबर को मुंबई में आयोजित किए जा रहे हैं। यह आयोजन अपनी 10वीं वर्षगांठ मना रहा है और बॉलीवुड के कई बड़े सितारे इसमें शामिल होने वाले हैं। लेकिन समारोह से पहले ही एक बड़ा विवाद सामने आया है, जिसने फिल्म इंडस्ट्री में हलचल मचा दी है।
चंद्रशेखर पुसलकर का बयान – “समर्थन नहीं करूंगा”
भारतीय सिनेमा के जनक कहे जाने वाले दादासाहब फाल्के के नाती चंद्रशेखर श्रीकृष्ण पुसलकर ने स्पष्ट कहा है कि वे किसी भी संस्था, संगठन या एनजीओ द्वारा दादासाहब फाल्के के नाम पर दिए जाने वाले अवॉर्ड्स का समर्थन नहीं करते। उनका आरोप है कि इन अवॉर्ड्स में सच्चे टैलेंट की जगह पैसे, दिखावे और व्यक्तिगत लाभ को प्राथमिकता दी जा रही है।
“नाम, पैसा और दिखावे का खेल”
अमर उजाला डिजिटल से बातचीत में चंद्रशेखर ने कहा – “मैं इस तरह के अवॉर्ड का समर्थन किसी भी रूप में नहीं कर सकता। पुरस्कार देने की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है। न तो मुझे पता है कि पैसा कहां खर्च होता है, न ही ये कि किन आधारों पर अवॉर्ड दिए जाते हैं। ये कार्यक्रम अब सच्चे कलाकारों को सम्मान देने की बजाय नाम और पैसों का खेल बन चुके हैं। चाहे कोई संस्था हो या एनजीओ, दादासाहब फाल्के के नाम का उपयोग कर अपना लाभ उठा रही हैं। मैं ऐसे अवॉर्ड्स से पूरी तरह अलग रहूंगा।”
“सितारे भी नहीं जानते क्यों बुलाया गया”
चंद्रशेखर का कहना है कि कई अवॉर्ड्स सीधे पैसे लेकर दिए जाते हैं। कुछ लोगों को बुलाया जाता है, उनसे रकम ली जाती है और फिर उन्हें सम्मानित कर दिया जाता है। कई सितारे तो खुद भी नहीं जानते कि उन्हें क्यों बुलाया गया। कुछ को पैसे देकर कार्यक्रम में शामिल किया जाता है। “क्या यही सिनेमा का सम्मान है? बिल्कुल नहीं,” उन्होंने कहा।
“यह मेरे नाना की विरासत और भारतीय सिनेमा की गरिमा का अपमान है।”
इंडस्ट्री में भ्रम और अविश्वास
चंद्रशेखर ने आरोप लगाया कि ऐसे अवॉर्ड्स नए कलाकारों के लिए हानिकारक हैं। “छोटे-बड़े सभी अवॉर्ड्स अब पैसे और दिखावे के लिए दिए जा रहे हैं। इससे मेहनती कलाकारों का हौसला टूटता है और इंडस्ट्री में भ्रम व अविश्वास फैलता है। लोग अपने हुनर से ज्यादा पैसे और संपर्क पर भरोसा करने लगते हैं। यह स्थिति सिनेमा की जड़ों के लिए नुकसानदायक है।”
सरकार से जांच की मांग
उन्होंने सरकार और जिम्मेदार अधिकारियों से कड़ी कार्रवाई की अपील की। “अगर इस दिशा में कदम नहीं उठाए गए तो ये अवॉर्ड्स सिर्फ दिखावा बनकर रह जाएंगे। असली कलाकारों की मेहनत और योगदान का कोई सम्मान नहीं होगा। मैं सरकार से मांग करता हूं कि इस पूरे मामले की जांच कराई जाए – अवॉर्ड्स किस आधार पर दिए जा रहे हैं और पैसे का खेल कितना फैला हुआ है।”
“मैं अपनी विरासत की रक्षा करूंगा”
बयान के अंत में चंद्रशेखर ने साफ कहा – “मैं किसी भी अवॉर्ड, समारोह या आयोजक से जुड़ना या उनका समर्थन करना स्वीकार नहीं करूंगा। दादासाहब फाल्के की विरासत को बचाना मेरी जिम्मेदारी है। ऐसे अवॉर्ड्स जो केवल पैसा, दिखावा और राजनीतिक लाभ के लिए दिए जा रहे हैं, मेरे लिए कभी स्वीकार्य नहीं हो सकते। मैं पूरी तरह ऐसे आयोजनों से दूर रहूंगा।”
फिल्म इंडस्ट्री में हलचल
चंद्रशेखर के इस बयान ने बॉलीवुड व अन्य फिल्म इंडस्ट्री में हलचल मचा दी है। DPIFF 2025 की तैयारियों के बीच यह विवाद आयोजकों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। अवॉर्ड्स की पारदर्शिता और साख पर सवाल खड़े होने के बाद अब सबकी निगाहें इस आयोजन पर टिक गई हैं।