बॉलीवुड की चमक-दमक भरी दुनिया में जब प्रतिनिधित्व की बात होती है, तो अक्सर बहस छिड़ जाती है कि क्या इंडस्ट्री विविधता और क्षेत्रीय पहचान को सही मायनों में महत्व देती है?
ऐसा ही एक मामला तब सामने आया जब मलयाली अभिनेत्री पवित्रा मेनन ने जाह्नवी कपूर की आगामी फिल्म ‘परम सुंदरी’ के ट्रेलर पर नाराजगी जाहिर की। फिल्म में जाह्नवी कपूर एक मलयाली लड़की का किरदार निभा रही हैं, लेकिन इस बात ने पवित्रा मेनन को आहत कर दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को खुलकर उठाया और बॉलीवुड पर क्षेत्रीय कलाकारों की अनदेखी करने का आरोप लगाया।
क्या है पूरा मामला?
‘परम सुंदरी’ एक रोमांटिक ड्रामा फिल्म है जिसमें जाह्नवी कपूर और सिद्धार्थ मल्होत्रा मुख्य भूमिकाओं में नजर आएंगे। ट्रेलर के अनुसार, जाह्नवी का किरदार एक पारंपरिक मलयाली परिवार की लड़की का है, जो आधुनिक दुनिया और पारिवारिक मूल्यों के बीच संतुलन बनाते हुए दिखाई देती है। लेकिन ट्रेलर रिलीज के बाद, मलयाली अभिनेत्री पवित्रा मेनन ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट कर फिल्म के मेकर्स पर सवाल उठाए और नाराजगी जाहिर की।
पवित्रा मेनन ने क्या कहा?
अपने वीडियो में पवित्रा ने कहा: “मैं एक मलयाली हूं और मैंने ट्रेलर देखा। समझ नहीं आता कि ऐसे रोल्स के लिए हमें क्यों नजरअंदाज किया जाता है। क्या हम कम टैलेंटेड हैं?” उन्होंने यह भी कहा कि बॉलीवुड अक्सर क्षेत्रीय कलाकारों को स्टीरियोटाइप करके पेश करता है: “क्या हम सिर्फ मोहिनीयट्टम करने तक सीमित हैं? क्या मलयाली औरतें सिर्फ फूल पहनती हैं और पारंपरिक नृत्य करती हैं?” पवित्रा ने इस बात पर भी जोर दिया कि वह हिंदी और मलयालम दोनों भाषाओं में सहज हैं, फिर भी उन्हें ऐसे किरदारों के लिए मौका नहीं दिया जाता।
बॉलीवुड पर प्रतिनिधित्व को लेकर उठे सवाल:
यह पहली बार नहीं है जब किसी क्षेत्रीय कलाकार ने बॉलीवुड में सटीक प्रतिनिधित्व की कमी की शिकायत की हो। पवित्रा मेनन का ये सवाल भारतीय सिनेमा की उस प्रवृत्ति की ओर इशारा करता है जहां लोकल कल्चर को ग्लैमराइज़ तो किया जाता है, लेकिन उसी समुदाय के कलाकारों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। जब मलयाली किरदार के लिए कोई नॉन-मलयाली एक्ट्रेस को कास्ट किया जाता है, तो यह बहस छिड़ना लाजमी है कि क्या यह “कल्चरल अप्रोप्रिएशन” की श्रेणी में आता है?
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया: पवित्रा के इस वीडियो पर सोशल मीडिया पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली है। सपोर्ट करने वाले यूज़र्स ने कहा:
- “उन्होंने बिल्कुल सही मुद्दा उठाया है। बॉलीवुड को क्षेत्रीय कलाकारों को मौका देना चाहिए।”
- “हर बार बड़े नामों को ही कास्ट करना टैलेंट की हत्या है।”
- वहीं कुछ फैंस ने पवित्रा की आलोचना की:
- “जाह्नवी ने मेहनत की है। ट्रेलर देखकर जज करना सही नहीं है।”
- “यह बस पब्लिसिटी स्टंट है।”
फिल्म ‘परम सुंदरी’ की डिटेल्स:
निर्देशक: तुषार जलोटा
मुख्य कलाकार: जाह्नवी कपूर, सिद्धार्थ मल्होत्रा
रिलीज डेट: 29 अगस्त 2025
कहानी: एक मलयाली लड़की और दिल्ली के एक नॉर्थ इंडियन लड़के के बीच की प्रेम कहानी, जिसमें संस्कृति, पारिवारिक मूल्य और संघर्ष की झलक मिलती है।
क्या कहता है फिल्म मेकर्स का पक्ष?
अब तक फिल्म के मेकर्स की ओर से इस विवाद पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन इंडस्ट्री के कुछ जानकारों का मानना है कि ये एक कॉमन प्रैक्टिस है, जहां कलाकारों को उनके अभिनय क्षमता और स्टार पावर के आधार पर चुना जाता है। हालांकि यह सवाल भी उतना ही प्रासंगिक है कि क्या सांस्कृतिक संवेदनाओं को नजरअंदाज कर देना सही है?
बॉलीवुड में क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व का इतिहास:
बॉलीवुड में दक्षिण भारतीय, पूर्वोत्तर, मराठी या बिहारी किरदारों को अकसर गैर-स्थानीय एक्टर्स निभाते आए हैं। हालांकि कुछ फिल्मों में यह प्रयोग सफल रहा है, वहीं कुछ जगहों पर यह “गलत उच्चारण”, “वेशभूषा की अतिशयोक्ति” और “सांस्कृतिक असंवेदनशीलता” के कारण आलोचना का विषय भी बना है।
पवित्रा मेनन की ओर से उठाए गए मुख्य बिंदु
- मलयाली किरदार के लिए मलयाली एक्ट्रेस को कास्ट न करना अनुचित
- क्षेत्रीय एक्टर्स को नजरअंदाज करना आम बात बन चुकी है
- साउथ के कलाकारों को बॉलीवुड में सिर्फ पारंपरिक रोल्स तक सीमित किया गया
- हिंदी भाषी होते हुए भी उन्हें मौका नहीं दिया गया
- मलयाली कल्चर को स्टीरियोटाइप के रूप में दिखाना सही नहीं
समाज और सिनेमा की संवेदनशीलता का समय
आज के समय में जहां इन्क्लूज़िविटी और रिप्रजेंटेशन पर खुलकर बातें हो रही हैं, ऐसे में फिल्मों को केवल एंटरटेनमेंट नहीं, बल्कि सामाजिक ज़िम्मेदारी के तौर पर भी देखा जाने लगा है। पवित्रा का बयान इस बात की याद दिलाता है कि अब वक्त आ गया है जब सिर्फ “सेलिब्रिटी फेस” नहीं, बल्कि “संवेदनशील कास्टिंग” को तरजीह दी जानी चाहिए।