बॉलीवुड में हमने दिल और जिगर पर खूब गाने सुने और सुनाए होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं दिल और जिगर दोनों ही हमारे शरीर के अलग-अलग अंग होते है. दिल (HEART) का मुख्य काम शरीर में ब्लड पंप करना है। यह रक्त को शरीर के सभी अंगों तक पहुंचाता है, जहां यह ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को पहुंचाता है और कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य अपशिष्ट उत्पादों को हटाता है। वहीं जिगर जिसे हिंदी में यकृत (LIVER) कहते है उसका भी हमारे शरीर में महत्वपूर्ण कार्य है जिनमें रक्त को साफ करना, पित्त का उत्पादन करना और पोषक तत्वों का चयापचय करना शामिल है। आइए जानते है विस्तार से कि आखिर कितना आवश्यक है अपने दिल और जिगर का ख्याल रखना जिसके लिए हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं ?
दिल (HEART)-
हृदय एक मांसपेशीय अंग है जो पूरे शरीर में लगातार ब्लड पंप करता है। यह चार कक्षों से बना होता है – दायां और बायां आलिंद और दायां और बायां निलय। हृदय के चारों कक्ष बारी-बारी से सिकुड़कर और शिथिल होकर पूरे हृदय में ब्लड पंप करने का काम करते हैं। ऐसा करने के लिए, हृदय धड़कन को ट्रिगर करने के लिए एक विद्युत प्रणाली का उपयोग करता है। अनिवार्य रूप से विद्युत प्रणाली वह शक्ति स्रोत है जो हृदय के सभी कार्यों को संभव बनाती है। रक्त वाहिकाएं कक्षों में जाती हैं और बाहर निकलती हैं, जो पूरे शरीर से रक्त प्राप्त करती हैं और वितरित करती हैं। हृदय के चार कक्ष चार वाल्वों से जुड़े होते हैं – ट्राइकसपिड, पल्मोनिक, मिट्रल और महाधमनी वाल्व। ये वाल्व एकतरफा दरवाज़े की तरह काम करते हैं, जिससे रक्त केवल एक दिशा में बहता है।

भारत में दिल की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं, कुछ साल पहले देखा जाता था कि बच्चे अपने बूढ़े मां-बाप की दिल से जुडी बीमारी का इलाज करवाने हॉस्पिटल ले जाया करते थे लेकिन आज के समय में इसके विपरीत हमें देखने को मिल रहा है जहां मां-बाप अपने बच्चों को उनकी दिल की बीमारी के इलाज के लिए ले जा रहे है। बदलती जीवनशैली, तनाव और खानपान की गलत आदतों के कारण हृदय रोग एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। दिल का स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए सही जानकारी और समय पर उचित कदम उठाना जरूरी है। पिछले 50 सालों में, भारत में हृदय रोगों से होने वाली मौतों की संख्या में वृद्धि हुई है, खासकर 45 साल से कम उम्र के लोगों में। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, 10 में से 4 मौतें 45 साल से कम उम्र के लोगों में होती हैं। पिछले 10 सालों में हार्ट अटैक से होने वाली मौतों में 75% की वृद्धि हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार 40 साल से कम उम्र के 25% लोगों को हार्ट अटैक का खतरा है। 50 साल से कम उम्र के 50% लोगों को हार्ट अटैक का खतरा है। भारतीय पुरुषों में 50% से अधिक दिल के दौरे 50 साल से कम उम्र में आते हैं। इनमें से ज्यादातर मौतें अचानक कार्डियक अरेस्ट के कारण होती हैं। दिल का दौरा अब केवल बुजुर्गों तक ही सीमित नहीं है, यह 35 साल से कम उम्र के लोगों में भी आम होता जा रहा है।
कैसे जाने हमारा दिल है “मरीज़”?
दिल की बीमारी का पता शुरुआती चरणों में नहीं चलता है। हालांकि कुछ लक्षण उत्पन्न होते हैं जैसे सीने में दर्द, सांस फूलना, बांह और या कंधे में दर्द और कमजोरी आना इत्यादि। यह लक्षण कुछ दिन, सप्ताह या घंटे पहले भी महसूस हो सकते हैं। इसलिए लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाएं और इलाज लें। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य लक्षण भी उत्पन्न होते हैं जैसे गर्दन की जकड़न, कंधे में दर्द, अपच, थकावट, चिपचिपी त्वचा और ठंडा पसीना आना।
कैसे करें दिल की बीमारी से बचाव?
दिल को स्वस्थ रखने के लिए सबसे जरूरी है संतुलित और पौष्टिक आहार। हरी सब्ज़ियां, फल, ओमेगा-3 फैटी एसिड (जैसे मछली या अलसी के बीज), कम नमक और कम फैट वाला खाना दिल के लिए फायदेमंद होता है। नियमित व्यायाम, योग और ध्यान (meditation) से तनाव को कम किया जा सकता है, जो दिल की सेहत के लिए ज़रूरी है। धूम्रपान और शराब से दूरी बनाए रखें और समय-समय पर ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की जांच कराते रहें। दिल की बीमारी से बचाव आपके अपने हाथ में है। सही जीवनशैली, नियमित जांच और संयमित खानपान से आप अपने दिल को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकते हैं। याद रखें – “स्वस्थ दिल, सुखद जीवन।”
जिगर (LIVER)-
अब बात करते है “जिगर” की जो हमारे शरीर में एक महत्वपूर्ण अंग है, ये पाचन, विषैले तत्वों की सफाई, खून को शुद्ध करने और ऊर्जा संचय जैसे 500 से भी अधिक कार्य करता है। लेकिन खराब जीवनशैली, शराब का सेवन, वायरल इंफेक्शन (जैसे हेपेटाइटिस B और C), मोटापा और अनियमित खानपान की वजह से लीवर पर बुरा असर पड़ता है। लीवर की सबसे आम बीमारियों में फैटी लीवर, हेपेटाइटिस, सिरोसिस और लीवर कैंसर शामिल हैं। इन बीमारियों की पहचान शुरुआती चरण में मुश्किल होती है क्योंकि इनके लक्षण अक्सर छिपे रहते हैं।
कैसे करें जिगर की बीमारियों से बचाव?
स्वस्थ लीवर के लिए संयमित और संतुलित भोजन जरूरी है। तले-भुने और ज्यादा फैट वाले खाने से परहेज करें। शराब का सेवन न करें या बहुत कम मात्रा में करें। नियमित व्यायाम करें और वजन नियंत्रित रखें। समय-समय पर लीवर फंक्शन टेस्ट (LFT) और हेपेटाइटिस की जांच कराना फायदेमंद होता है। टीकाकरण के ज़रिए हेपेटाइटिस A और B से बचाव संभव है।
भारत में स्थिति-
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 10 लाख से ज़्यादा लोग लीवर से जुड़ी बीमारियों से प्रभावित होते हैं। इनमें से करीब 2 लाख लोगों की मौत लीवर की गंभीर समस्याओं के कारण हो जाती है। खासकर फैटी लीवर और हेपेटाइटिस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जो आने वाले समय में भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं।

लीवर की एक महत्वपूर्ण विशेषता है जो इसे बाकी सभी आतंरिक अंगों से अलग बनाती है क्या आप जानते है लीवर को अगर काट दिया जाए तो वह हमारे बालों और नाखूनों के जैसे फिर से बढ़कर पूरा हो जाता है यानी लीवर की अगर हम अच्छे से देखभाल करते है तो वह खुद ही अपने आप को सही कर लेता है. हमें अपने लीवर की देखभाल करना उतना ही जरूरी है जितना दिल की। अगर हम थोड़ा अपनी जीवनशैली में बदलाव करें और समय पर जांच कराएं, तो गंभीर बीमारियों से खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।