Retro Review: आज हम रेट्रो रिव्यू में आपके लिए लेकर आए है साल 1975 में रमेश सिप्पी के निर्देशन में बनी सूपर-डूपर हिट फिल्म “शोले”। इस फिल्म को अपने समय की सबसे बेहतरीन जोड़ी कही जाने वाली सलीम-जावेद ने लिखा था। इस फिल्म में मुख्य कलाकार के रूप में आपको अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र, हेमा मालिनी, जया भादुरी, अमजद खान, संजीव कुमार नज़र आएंगे और एक ऐसा कैरेक्टर भी है जिसने हमारी बसंती के डायलॉग में जान दाल दी थी। जी हां हम बात कर रहे हैं धन्नो (घोड़ी) की, इसके अलावा और भी कई कलाकार इस फिल्म में आपको नज़र आएंगे चाहे वो बसंती की मौसी का किरदार निभाने वाली बेहतरीन अदाकारा “लीला मिश्रा” हो या फिर ठाकुर के नौकर का रोले करने वाले “सत्येन कप्पू”।

“शोले” सिर्फ एक फिल्म नहीं, एक सनक थी-
1975 में आई “शोले” को भारतीय सिनेमा की सर्वकालिक महान फिल्मों में गिना जाता है। ये वो दौर था जब सिनेमा में तकनीक सीमित थी लेकिन कहानी, संवाद और अभिनय में दम था। रमेश सिप्पी की यह महाकाव्य फिल्म ऐक्शन, इमोशन, ड्रामा और दोस्ती का आइकॉनिक मिश्रण थी।
कहानी जिसने एक पीढ़ी को जोड़ दिया-
“शोले” की कहानी एक रिटायर्ड पुलिस अफसर ठाकुर बलदेव सिंह (संजीव कुमार) की है, जो अपने गांव रामगढ़ को डाकू गब्बर सिंह (अमजद खान) से बचाने के लिए दो छोटे-मोटे अपराधी जय और वीरू (अमिताभ और धर्मेन्द्र) की मदद लेता है। फिल्म में जय-वीरू की दोस्ती, बसंती की बातूनी शख्सियत, राधा का मौन प्रेम, और गब्बर सिंह की दहशत हर किरदार आज भी ज़िंदा है।

डायलॉग्स जो आज भी ज़ुबान पर चढ़े हैं-
किसी भी फिल्म के किरदार को लम्बे समय तक तभी याद रखा जा सकता है जब उस फिल्म की कहानी ज़बरदस्त और डायलॉग उससे भी ज़्यादा प्रभावशाली हों। शोले फिल्म के डायलॉग ऐसे है जिसने यह फिल्म नहीं भी देखी है वो भी इनके डायलॉग्स जानता है। शोले के कई ऐसे डायलॉग्स है जो बहुत प्रसिद्ध हुए जैसे- “ये हाथ मुझे दे दे ठाकुर!”, “कितने आदमी थे?”, “जो डर गया समझो मर गया”, “बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना” इन डायलॉग्स ने बॉलीवुड के डायलॉग राइटिंग की परिभाषा बदल दी थी।

म्यूज़िक और बैकग्राउंड स्कोर नहीं “भावनाओं का रथ”-
आर. डी. बर्मन का संगीत और पंचम दा की पृष्ठभूमि धुनें आज भी सुनने वालों को 70 के दशक में लौटा देती हैं। आज भी अगर दोस्तों के साथ महफ़िल जमी हो तो लोगों की जुबां पर ये गाना आ ही जाता है “ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे” ये सिर्फ एक गाना नहीं, हर दोस्ती का थीम सांग बन गया।

असर और विरासत-
“शोले” ने सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर नहीं, बल्कि पॉप-कल्चर पर भी राज किया। गब्बर सिंह आज भी भारत के सबसे खौफनाक विलेन में गिना जाता है। जय-वीरू की दोस्ती पर न जाने कितनी फिल्में बनीं और “रामगढ़” एक काल्पनिक गांव से पहचान बन गया।