बॉलीवुड में भगवान और आध्यात्मिक विषयों पर फिल्मों का इतिहास बहुत पुराना है। 1913 में बनी भारत की पहली फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ भी एक पौराणिक कहानी पर आधारित थी। इसके बाद 1954 में ‘रामायण’ नामक फिल्म आई थी, जो उस समय की बड़ी और खास फिल्म मानी गई थी। उस फिल्म का निर्देशन विजय भट्ट ने किया था। इसके अलावा भी कई धार्मिक और पौराणिक फिल्मों का दौर हिंदी सिनेमा में 1980 के दशक तक चलता रहा, जैसे ‘भक्त प्रह्लाद’, ‘हर हर महादेव’, ‘हनुमान’ आदि।
इस लिए बंद हुआ था सिलसिला-
लेकिन 1980 के बाद इन फिल्मों का सिलसिला लगभग बंद हो गया। इसका मुख्य कारण था कि धार्मिक और पौराणिक फिल्मों से वह आर्थिक सफलता नहीं मिल पा रही थी, जिसकी वजह से निर्माता इन्हें बनाना कम पसंद करने लगे। साथ ही, टीवी पर धार्मिक धारावाहिकों का प्रसारण बढ़ने लगा, जिससे दर्शक घर पर ही इन कहानियों को देखने लगे। इसके अलावा, दर्शकों ने इन फिल्मों को कभी-कभी अधिक नैतिकता पूर्ण या पुरानी कहानियों के रूप में देखा, जिससे उनकी लोकप्रियता कम हुई।
‘रामायणम्’ से वापसी-
अब फिर से इस क्षेत्र में वापसी हो रही है। रणबीर कपूर की ‘रामायणम्’ इस वापसी का बड़ा उदाहरण है। यह फिल्म नितेश तिवारी के निर्देशन में बन रही है और दो भागों में दिवाली 2026 और 2027 को रिलीज होगी। इसमें रणबीर कपूर भगवान राम के किरदार में हैं, यश रावण की भूमिका निभा रहे हैं और साई पल्लवी माता सीता के रूप में नजर आएंगी। इस फिल्म का म्यूजिक ए आर रहमान ने दिया है और इसमें सनी देओल हनुमान के रोल में हैं। फिल्म के पहले टीजर में रणबीर और यश का दमदार अवतार दिखाया गया है, जिसने सोशल मीडिया पर जबरदस्त उत्साह पैदा कर दिया है।
इस नई पीढ़ी की पौराणिक फिल्मों में बड़े बजट, उन्नत VFX, और ग्लोबल स्तर की प्रस्तुति देखने को मिल रही है, जो पहले संभव नहीं था। साथ ही, दर्शकों में इन कहानियों को बड़े पर्दे पर देखने की इच्छा फिर से जागी है इसलिए बॉलीवुड में पौराणिक और धार्मिक फ़िल्में दोबारा से बनना शुरू हुई हैं।