नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में मंगलवार यानि 27 मई को 69 हस्तियों को सम्मानित किया। जिसमें तीन को पद्म विभूषण,नौ को पद्म भूषण और 57 हस्तियों को पद्म श्री से नवाजा गया। बिहार की प्रसिद्ध लोक गायिका स्वर्गीय डॉ.शारदा सिन्हा को मरणोपरांत कला के क्षेत्र में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। उनके बेटे अंशुमान ने यह पुरस्कार ग्रहण किया। इस दौरान वह मंच पर भावुक दिखे। शारदा सिन्हा ने छठ गीतों से लेकर विवाह गीतों तक लोकजीवन के हर रंग को अपनी सुरीली आवाज में पिरोया। उनके गाए गीत आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं।

इन पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकीं हैं शारदा
1.शारदा सिन्हा को 1991 में पद्मश्री अवॉर्ड मिल चुका है।
2.साल 2000 में शारदा सिन्हा को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
3.वर्ष 2006 में शारदा को राष्ट्रीय अहिल्या देवी अवॉर्ड से सम्मानित हुईं थीं।
4.साल 2015 में बिहार सरकार ने उन्हें बिहार सरकार पुरस्कार नवाजा।
5.साल 2018 में भारत सरकार ने शारदा सिन्हा को पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था।

घाटों पर सुने जाते हैं शारदा सिन्हा के गीत
शारदा सिन्हा का जन्म एक अक्टूबर 1952 में बिहार के सुपौल जिले के हुलास में हुआ था। शारदा ने बैचलर ऑफ एजुकेशन और म्यूजिक से एमए की पढ़ाई की। शारदा सिन्हा मुख्य तौर पर मैथिली और भोजपुरी में लोकगीत गाती थीं। उन्होंने 1974 में पहली बार भोजपुरी गीत गाना शुरू किया था। इसके बाद साल 1978 में शारदा सिन्हा ने ‘उग हो सूरज देव’ गीत रिकॉर्ड किया। छठ पर्व पर आया ‘उग हो सुरज देव गीत आज भी घाटों पर सुना जाता है। लोग गायिका के गाए हुए गीतों को सुनकर ही लोग छठ का त्योहार धूमधाम से मनाते हैं। वहीं 1989 में उनका गाना ‘कहे तोहसे सजना ये तोहरी सजानियां’ रिलीज हुआ और इसी गाने से उनकी बॉलीवुड में एंट्री हुई। शारदा सिन्हा ने समस्तीपुर वीमेन कॉलेज में बतौर प्रोफेसर काम भी किया है।