स्वतंत्रता दिवस के खास मौके पर रिलीज हुई साउथ सिनेमा के थलाइवा रजनीकांत की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘कूली’ ने रिलीज के पहले ही दिन से बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचा दिया है। दुनियाभर के सिनेमाघरों में एक साथ रिलीज होकर इस फिल्म ने रजनीकांत के फैंस के लिए किसी त्यौहार से कम माहौल नहीं बनाया। जहां एक तरफ फिल्म ने रिलीज के कुछ घंटों में ही करोड़ों की कमाई कर डाली, वहीं दूसरी ओर दर्शकों और क्रिटिक्स दोनों से शानदार रिव्यू भी बटोरे हैं। इस फिल्म को लेकर हर ओर चर्चा हो रही है कि ‘कूली’ आखिर इतनी खास क्यों है?
आज हम आपको बताएंगे कि वो 5 बड़े कारण कौन से हैं, जिन्होंने इस फिल्म को सुपरहिट बनाने में अहम भूमिका निभाई।
- दमदार कहानी और पटकथा
‘कूली’ की सबसे बड़ी ताकत इसकी कहानी है। फिल्म की अवधि भले ही 2 घंटे 50 मिनट की हो, लेकिन हर मिनट दर्शकों को बांधे रखने की क्षमता रखती है। लोकेश कनगराज और चंद्रु अन्बझगन की लेखनी ने इस कहानी में गहराई और व्यावसायिक मनोरंजन का जबरदस्त संतुलन बनाया है। फिल्म की स्क्रिप्ट में सामाजिक संदेश, थ्रिल, इमोशन और एक्शन का मेल दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है। कहानी में पुराने ज़माने के मजदूर आंदोलन, सामाजिक भेदभाव, और एक साधारण व्यक्ति के असाधारण संघर्ष को बेहद प्रामाणिक तरीके से दिखाया गया है। यह केवल मनोरंजन नहीं बल्कि एक भावनात्मक अनुभव भी बन जाती है।
- रजनीकांत की शानदार परफॉर्मेंस
रजनीकांत एक बार फिर साबित करते हैं कि उम्र केवल एक संख्या है। फिल्म में उन्होंने एक कूली के किरदार को इतने जीवंत और प्रभावी तरीके से निभाया है कि वह फिर से ‘जनता के हीरो’ के रूप में सामने आते हैं। उनके हर एक्शन सीक्वेंस, डायलॉग डिलीवरी, और इमोशनल सीन – सभी ने फैंस को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। खास बात यह है कि इस बार थलाइवा ने बिना ज़्यादा स्टाइल के, एक आम आदमी का किरदार निभाया है – लेकिन वही भूमिका उन्हें और भी बड़ा बना देती है।
- सामाजिक संदेश और यथार्थ
‘कूली’ महज एक कमर्शियल फिल्म नहीं है। इसकी कहानी समाज के उन पहलुओं को छूती है, जिन पर चर्चा अक्सर कम होती है। मजदूर वर्ग की ज़िंदगी, उनके संघर्ष, उनकी इज्जत और समाज में उनकी अहमियत को फिल्म ने बहुत खूबसूरती से उभारा है। फिल्म में यह दिखाया गया है कि मेहनत करने वाले हाथों को केवल सहानुभूति नहीं, सम्मान मिलना चाहिए।
- तकनीकी पक्ष और निर्देशन
लोकेश कनगराज ने एक बार फिर खुद को सिद्ध किया है। उनके निर्देशन में फिल्म का हर फ्रेम बोलता है। चाहे एक्शन सीन्स हों या इमोशनल मोमेंट्स – हर दृश्य सटीक और प्रभावशाली है। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर, सिनेमैटोग्राफी और एडिटिंग इंटरनेशनल लेवल की क्वालिटी लिए हुए है। हर लोकेशन, हर कैमरा एंगल दर्शकों को कहानी के साथ जोड़कर रखता है।
- सपोर्टिंग कास्ट और म्यूजिक का जादू
जहां रजनीकांत पूरी फिल्म की जान हैं, वहीं सपोर्टिंग कास्ट ने भी उनका बेहतरीन साथ दिया है। फिल्म में महिला लीड के तौर पर नयनतारा का किरदार दमदार है। साथ ही, विजय सेतुपति का निगेटिव किरदार दर्शकों को चौंकाता है। दोनों के बीच के टकराव के सीन बेहद पावरफुल हैं। संगीतकार अनिरुद्ध रविचंदर ने फिल्म का संगीत तैयार किया है, और यह कहना गलत नहीं होगा कि उनका म्यूजिक फिल्म की आत्मा बन गया है। खासकर ‘मेहनत का सवेरा’ और ‘कूली नंबर वन’ जैसे गाने पहले ही चार्टबस्टर बन चुके हैं।
‘कूली’ न केवल एक एंटरटेनिंग फिल्म है, बल्कि यह समाज को एक संदेश भी देती है – कि मेहनतकश लोगों का सम्मान होना चाहिए। रजनीकांत की ये फिल्म एक बार फिर यह साबित करती है कि वह सिर्फ एक सुपरस्टार नहीं, बल्कि लोगों के दिलों में बसने वाले कलाकार हैं।