मुंबई। बॉलीवुड और भारतीय सिनेमा में राजकपूर को पहले शो मैन के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने अपनी फिल्मों के जरिये दर्शकों के दिलों में खास पहचान बनाई। राज कपूर हमेशा चर्चाओं में रहते थे। इनकी लव लाइफ भी कमाल की थी। पृथ्वीराज कपूर के बेटे होने के बावजूद उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में अपने सफर की शुरुआत स्पॉटबॉय के रूप में की थी। राज कपूर ने अपने पिता की विरासत को न सिर्फ आगे बढ़ाया, बल्कि उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। राजकपूर ने अपने सिने करियर की शुरूआत बतौर बाल कलाकार वर्ष 1935 में प्रदर्शित फिल्म ‘इंकलाब’ से की। बतौर अभिनेता वर्ष 1947 में प्रदर्शित फिल्म ‘नीलकमल’ उनकी पहली फिल्म थी। ‘नीलकमल’ से उनकी किस्मत खुली और देखते ही देखते वह बॉलीवुड के शोमैन बन गए। राज कपूर का फिल्म ‘नीलकमल’ में काम करने का किस्सा भी काफी दिलचस्प है।
अंदाज और बरसात जैसी फिल्मों ने बनाया सुपरस्टार
पृथ्वीराज कपूर ने अपने बेटे राज को केदार शर्मा की यूनिट में क्लैपर ब्वॉय के रूप में काम करने की सलाह दी। फिल्म की शूटिंग के समय वह अक्सर आइने के पास चले जाते थे और अपने बालों में कंघी करने लगते थे। एक बार फिल्म में क्लैप देते समय गलती से एक्टर की नकली दाढ़ी गिर गई, जिससे नाराज़ होकर केदार शर्मा ने राजकपूर को जोर का थप्पड जड़ दिया। हालांकि केदार शर्मा को इसका अफसोस रात भर रहा। अगले दिन उन्होंने अपनी नई फिल्म ‘नीलकमल’ के लिए राजकपूर को साइन कर लिया। राजकपूर फिल्मों मे अभिनय के साथ ही कुछ और भी करना चाहते थे। वर्ष 1948 में आर.के. फिल्मस की स्थापना की और फिल्म आग से निर्देशन में कदम रखा। 1949 में अंदाज और बरसात जैसी फिल्मों ने उन्हें सुपरस्टार बना दिया। वर्ष 1951 में प्रदर्शित फिल्म ‘आवारा’ राजकपूर के सिने करियर की अहम फिल्म साबित हुई।
इन फिल्मों में किया काम, अभिनेत्री नरगिस के साथ चर्चा में रहे राज कपूर
फिल्म की सफलता ने राज कपूर को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई। फिल्म का शीर्षक ‘आवारा हूं या गर्दिश में आसमान का तारा हूं’ देश-विदेश में बहुत लोकप्रिय हुआ। राजकपूर के सिने करियर में उनकी जोड़ी अभिनेत्री नरगिस के साथ काफी पसंद की गई। दोनों ने सबसे पहले वर्ष 1948 में प्रदर्शित फिल्म बरसात में नजर आई। इसके बाद अंदाज, जान पहचान,आवारा, अनहोनी, अंबर, धुन, पापी, श्री 420, जागते रहो और चोरी चोरी जैसी कई फिल्मों में भी दोनों कलाकारों ने एक साथ काम किया।
फिल्म श्री 420 में बारिश में एक छाते के नीचे फिल्माये गीत ‘प्यार हुआ इकरार हुआ’ में नरगिस और राजकपूर के प्रेम प्रसंग के अविस्मरणीय दृश्य को सिने दर्शक शायद ही कभी भूल पायें। राज कपूर और नरगिस की लव स्टोरी उस समय में अपने परवान पर थी, लेकिन राज कपूर पहले से ही शादीशुदा थे और कृष्णा कपूर को छोड़ने का उनका इरादा भी नहीं था। लेकिन इस दौरान भी नरगिस आरके प्रोडक्शंस की फिल्में साइन कर रही थीं। यहां तक कि नरगिस राज कपूर की दूसरी पत्नी बनने के लिए भी राजी थीं, लेकिन राज कपूर नहीं माने और आखिरकार नरगिस अपनी जिंदगी में अकेली पड़ गईं।
राजकपूर को मिले ये पुरस्कार
राजकपूर को अपने सिने करियर में मान-सम्मान खूब मिला। वर्ष 1971 में राज कपूर पद्मभूषण पुरस्कार और वर्ष 1987 में हिंदी फिल्म जगत के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब पाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किए गए। बतौर अभिनेता उन्हें दो बार जबकि बतौर निर्देशक उन्हें चार बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 1985 में राजकपूर निर्देशित अंतिम फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ प्रदर्शित हुई। इसके बाद राजकपूर अपने महात्वाकांक्षी फिल्म ‘हिना’ के निर्माण में व्यस्त हो गये लेकिन उनका सपना साकार नहीं हुआ और 02 जून 1988 को इस दुनिया को अलविदा कह गये।