नूह नारवी ने शराब को लेकर कहा था कि “हम इंतिज़ार करें हम को इतनी ताब नहीं, पिला दो तुम हमें पानी अगर शराब नहीं”। शराब पीने को लेकर अगर दिल को समझाना हो तो ये शेर काफी सटीक बैठता है। शराब को लेकर अमिताभ बच्चन गाते हैं कि नशा शराब में होता तो नाचती बोतल। ये बातें कहने में तो बहुत अच्छी लगती हैं लेकिन जब आप किसी शराब पीने वाले को देखते हैं तो स्थिति कुछ और ही बयान कर रही होती है। अक्सर लोगों को ये कहते हुए हम सुनते है “मैं कभी कभार ही शराब पीता हूं वो भी बहुत कम” लेकिन क्या आप जानते है की शराब की एक बूंद भी हमारे लिए उतनी ही हानिकारक है जितना की एक हैबिचुवल ड्रिंकर के लिए होती है। शुरू-शुरू में सभी यही कह कर शराब पीने लगते है की नहीं डालनी है लेकिन इसकी लत कब लग जाती है और कब हमारी बॉडी शराब की डिमांड ना पूरी होने पर निगेटिवली रिएक्ट करने लगती है हम समझ भी नहीं पाते। आज की इस रिपोर्ट में जानेंगे एल्कोहल कितनी तरह का होता है और कितना खतरनाक है हमारे लिए?
एल्कोहल के प्रकार-
सामान्यतः एल्कोहल ऐसे खाद्य पदार्थों में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है जिनमे स्टार्च/कार्बोहाइड्रेट मौजूद होता है जैसे अंगूर, जौ, आलू, गेंहूं आदि. दरअसल हवा में मौजूद यूनिसेल्लुलर माइक्रो-ऑर्गेनिस्म यीस्ट कार्बोहाइड्रेट युक्त पदार्थों से अपना भोजन लेता है और इसी दौरान किण्डवन की प्रक्रिया होती है। जिससे नेचुरल एल्कोहल बनता है जिसकी प्रतिशत मात्रा लगभग 2 से 4 के बीच रहती है लेकिन इंसानो ने इस प्राकृतिक एल्कोहल को डिस्टिलेशन के जरिए और भी ज़्यादा कंसन्ट्रेट बनाया और नशे के लिए इस्तेमाल करना शुरू किया। हज़ारों साल से लोग इसका उपयोग करते आ रहे हैं. क्या आप जानते हैं एल्कोहल कितने प्रकार के होते है? और उनमें कितना प्रतिशत एल्कोहल होता है? दरअसल एल्कोहल प्रतिशत और किस खाद्य पदार्थ से फर्मेंटेशन के ज़रिए ड्रिंक बनाया जा रहा है यह एल्कोहल ड्रिंक की कैटिगिरी को डिसाइड करता है।
वाइन- अंगूरों को किण्वित करके बनाई जाती है। (12-14% अल्कोहल)
बीयर- अनाज (जैसे जौ) को किण्वित करके बनाई जाती है। (4-7% अल्कोहल)
व्हिस्की- अनाज (जैसे जौ, मक्का, राई) को किण्वित और आसुत करके बनाई जाती है। (40% या उससे अधिक अल्कोहल)
रम- गन्ने के रस को किण्वित और आसुत करके बनाई जाती है। (37.5% से 80% अल्कोहल )

क्यों होता है नशा?
शराब पीने के बाद होने वाला नशा दरअसल शराब में मौजूद अल्कोहल की वजह से होता है। ऐसा कहते हैं कि शराब में अल्कोहल की मात्रा जितनी ज्यादा होती है, शराब उतनी ही स्ट्रांग मानी जाती है। जर्मनी की एक यूनिवर्सिटी द्वारा की गयी रिसर्च में यह बात सामने आई है कि जब आप शराब का एक घूंट पीते हैं तो इसमें मौजूद अल्कोहल के कण हमारे खून में घुल जाते हैं। ये कण ब्लड फ्लुएड के जरिए हमारे ब्रेन में पहुंचते हैं और वहां मौजूद न्यूरोट्रांसमीटर को इफेक्ट करने लगते हैं। दिमाग में मौजूद न्यूरोट्रांसमीटर दरअसल शरीर में संदेश भेजने का काम करते हैं। जब ये न्यूरोट्रांसमीटर सही ढंग से काम नहीं कर पाते हैं तो आपका ब्रेन से नियंत्रण कम हो जाता है। यही कारण है कि शराब पीने के बाद कुछ लोगों में इसका नशा होता है। इसकी वजह से आपका दिमाग ठप्प पड़ सकता है और इंसान उल्टी-सीधी हरकतें करने लग जाता है।

शराब पीने के बाद अच्छा क्यों लगता है?
अब सवाल यह उठता है कि शराब पीने के बाद अच्छा क्यों लगता है। आप जब इसके पीछे का साइंस समझने की कोशिश करेंगे तो पता चलेगा कि यह भी शराब में मौजूद अल्कोहल की मात्रा के कारण ही होता है। शराब में मौजूद अल्कोहल न्यूरोन्स को एक्टिव करने का काम करता है और इसकी वजह से डोपामीन हॉर्मोन आपको अच्छा फील कराने का काम करते हैं। जब आप बहुत ज्यादा मात्रा में अल्कोहल का सेवन कर लेते हैं तो उसकी वजह से आपको हायपरथर्मिया या हायपोवेंटीलेशन जैसी समस्या होती है।
शराब का सेवन शरीर को बहुत नुकसान पहुंचाता है। इसकी वजह से आपके शरीर के अंगों को बहुत नुकसान होता है। बहुत ज्यादा शराब पीने से आपको कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे लोग जो लंबे समय से बहुत ज्यादा शराब का सेवन कर रहे हैं, उनकी जान भी इसके कारण होने वाले दुष्प्रभावों से जा सकती है। इसलिए शराब की लत छोड़ने में ही भलाई है।